सरसों रबी की प्रमुख फसल है, जिसकी खेती देश के कई राज्यों जैसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप से की जाती है। सरसों की किस्में (Mustard variety) किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सही किस्म चुनने से उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ सकता है। सरसों की नई किस्म (sarso ki new variety) चुनने से किसान ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सरसों के बीजों में 30-48% तक तेल पाया जाता है, जिससे यह फसल किसानों के लिए आर्थिक रूप से अत्यंत लाभदायक होती है।
भारत में सरसों की खेती (Mustard variety in India)
भारत में विभिन्न सरसों की किस्में उपलब्ध हैं।
2. ये किस्में किसानों को उनकी जलवायु और मिट्टी के अनुसार बेहतर उपज प्रदान करती हैं।
3. सरसों की नई किस्म 2024 और पिछले वर्षों में विकसित किस्में लोकप्रिय हो रही हैं।
मिट्टी और जलवायु –
1. सरसों की फसल के लिए बलुई दोमट से दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
2. मिट्टी में अच्छा जल निकास होना चाहिए।
3. किस्म के अनुसार जलवायु में बदलाव से फसल प्रभावित हो सकती है।
4. इसलिए मिट्टी और मौसम का ध्यान रखना जरूरी है।
बेहतर उपज देने वाली सरसों की किस्में (Mustard variety list)
नीचे दी गई तालिका में भारत में सरसों की 10 प्रमुख किस्मों (best mustard variety in India) की जानकारी दी गई है, जो किसानों को अधिक उपज और बेहतर तेल गुणवत्ता प्रदान कर सकती हैं:
किस्म का नाम | फसल अवधि | तेल प्रतिशत | विशेषताएँ |
PIONEER 45S46 | 90-110 दिन | 43-48% | रोग प्रतिरोधी, मोटे दाने, उच्च तेल |
PIONEER 45S47 | 122-125 दिन | 43.50% | उच्च फुटाव, लंबी अवधि, अधिक उपज |
Advanta 414 | 120-125 दिन | 41-45% | शक्तिशाली रोग प्रतिरोधक क्षमता, बेहतर उपज |
Shriram 1666 HYB | 128-130 दिन | 42-45% | लंबी शाखाएँ, अधिक तेल, घना पौधा |
Crystal Hybrid 5222 | 120-130 दिन | 41-42% | रोग प्रतिरोधी, अधिक उत्पादन |
RH-749 | 120-130 दिन | 42% | ऊँची गुणवत्ता वाली तेल, मध्यम परिपक्वता |
NRCHB 101 | 110-115 दिन | 40-44% | उच्च उपज और तेल प्रतिशत, रोग प्रतिरोधी |
Varuna | 135-145 दिन | 40-44% | शुष्क भूमि के लिए उपयुक्त, अधिक उपज |
Giriraj | 130-135 दिन | 40-45% | सूखा सहनशीलता, अच्छी तेल गुणवत्ता |
Pusa Jaikisan | 120-130 दिन | 40% | मध्यम परिपक्वता, रोग प्रतिरोधक क्षमता |
सरसों की किस्में चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें
जलवायु: अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार सरसों की किस्म का चयन करें।
मिट्टी की गुणवत्ता: मिट्टी की उपयुक्तता पर ध्यान दें ताकि फसल अच्छी तरह बढ़ सके।
सिंचाई और जल संसाधन: किस्म पानी की उपलब्धता के अनुसार उपज दे सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता: ऐसी किस्में चुनें जो बीमारियों के प्रति सहनशील हों।
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निष्कर्ष
सरसों की सही किस्म (sarso variety) का चयन फसल की गुणवत्ता और किसानों के मुनाफे दोनों को बढ़ाता है। उपरोक्त सरसों की किस्में (sarso variety list) क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार बेहतर परिणाम दे सकती हैं। इस साल सरसों की मांग और कीमतों में वृद्धि को देखते हुए, किसानों को नई और उन्नत सरसों की किस्में (sarso ki new variety) अपनानी चाहिए।
किसानों द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | People also ask –
1. भारत में सरसों की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
भारत में Pioneer 45S46 और Varuna जैसी किस्में सबसे अच्छी मानी जाती हैं, जो अधिक उत्पादन और बेहतर तेल गुणवत्ता देती हैं।
2. सरसों की खेती के लिए कौन सा बीज अच्छा है?
Advanta 414 और Pioneer 45S47 जैसे बीज सरसों की अच्छी किस्मों में शामिल हैं, जो अधिक उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं।
3. सरसों की नई किस्म 2024 कौन सी है?
RH-749 और NRCHB 101 जैसी किस्में 2024 में नई और उन्नत किस्मों के रूप में उभर रही हैं।
4. सरसों की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
सामान्यतः 90 से 130 दिनों में सरसों की फसल पूरी तरह से परिपक्व हो जाती है, जो किस्म और जलवायु पर निर्भर करती है।
5. सरसों की पैदावार कैसे बढ़ाएं?
सही किस्म का चयन, समय पर बुवाई, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग और रोग नियंत्रण से सरसों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है।
लेखक: Krushi Doctor Suryakant
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