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sugarcane trash

फसल जानकारी (Fasal Jankari) वेबसाईट पे आप सभी का स्वागत है। आजकल, कृषि तकनीक में हुई बदलती हुई दृष्टिकोणों के साथ, गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में नई और सुरक्षित तकनीकों की तलाश हो रही है। गन्ना एक महत्वपूर्ण फसल है जो अपनी उन्नतता और प्रचलितता के कारण किसानों के लिए आमदनी का स्रोत बन चुका है। गन्ने की पत्तियों (sugarcane trash) का अवशेषी प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कृषि तकनीक है जो उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से प्रबंधन करने में मदद करती है। गन्ना उत्पादन में अवशेष प्रबंधन एक ऐसी महत्वपूर्ण तकनीक है जो किसानों को अधिक उपज और साथ ही वातावरण के प्रति भी जिम्मेदार बनाती है।

गन्ने की पत्तियों का उपयोग कैसे और क्यों करें ? | Sugarcane trash uses –

1. गन्ना अपने कुल जैवभार का 40 प्रतिशत अवशेषी कूड़ा-करकट उत्पन्न करता है।
2. इसमें मुख्यतः इसकी सूखी पत्तियां निकालना व कटाई उपरांत इसके शीर्ष व ठूंठ इत्यादि आते हैं।
3. इसमें से शीर्ष या अगोलों का किसान मुख्यतः पशु चारे के लिए उपयोग कर लेते हैं, परंतु बचे हुए अवशेष को खेत में ही जला देते हैं।
4. गन्ना उत्पादन में प्रति हैक्टर क्षेत्रफल में 100 टन मृदा से लगभग 200-250 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 120 कि.ग्रा. फॉस्फेफट व 175 से 225 कि.ग्रा. पोटाश आदि पोषक तत्वों की हानि होती है।
5. अतः मृदा की उर्वर क्षमता को संतुलित बनाए रखने के लिए उसमें समय-समय पर उचित मात्रा में कार्बनिक एवं अकार्बनिक खादों की प्रतिपूर्ति करना अति आवश्यक है।
6. यह प्रायः एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन द्वारा ही संभव है।
7. अवशेषी कूड़े-करकट व सूखी पत्तियों को खेत में जलाने से पर्यावरण हानि के साथ-साथ 70-95 प्रतिशत तक शुष्क पदार्थ और नाइट्रोजन की भी हानि होती है।

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कटाई उपरांत गन्ने के अवशेषी प्रबंधन | Sugarcane trash composting –

1. गन्ने की पत्तियों का सर्दियों में पशुओं के लिए बिछावन के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
2. गन्ने की सूखी पत्तियों से बायो-इथेनॉल जैसे जैव-ईंधन के उत्पादन के लिए बायोमास के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
3. गन्ने की पत्तियों से बायो-इथेनॉल के रूपांतरण की प्रक्रिया में तीन मुख्य क्रियाएं शामिल हैं – बायोमास का प्री-ट्रीटमेंट, सैकेरीफिकेशन, और किण्वन।
4. कटाई उपरांत सर्वप्रथम गन्ने के अवशेषी कूड़ा-करकट को एकत्र करके एकांतर क्यारियों में व्यवस्थित करना चाहिए।
5. गन्ने के अवशेषी टुकड़े या जड़ों को मृदा से समीप से काटना चाहिए।
6. 250 मिलीलीटर कार्बेन्डाजिम और 250 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस का 100 लीटर पानी में घोल तैयार करना चाहिए और इसे अवशेषी कूड़ा-करकट पर छिड़कना चाहिए।
7. खेत की सिंचाई करनी चाहिए ताकि अवशेषी कूड़ा-करकट पर्याप्त नमी अवशोषित कर सके।
8. 200 लीटर पानी लेकर उसमें 200 कि.ग्रा. गाय के गोबर का घोल तैयार करना चाहिए और उसमें 10 कि.ग्रा. विघटनकारी कल्चर मिलाना चाहिए।
8. इस मिश्रण को अवशेषी कूड़ा-करकट पर छिड़कना चाहिए।

गन्ने की पत्तियों और अवशेष के उपयोग से लाभ | Sugarcane Trash Composting Benefits –

1. मृदा की उर्वरा क्षमता संतुलित रहती है।
2. नाइट्रोजन, पफॉस्फफोरस व पोटाश (एनपीके) के स्तर में बढ़ोतरी होती है।
3. साथ ही इसके ट्रैश प्रबंधन से लगभग 4-10 प्रतिशत तक गन्ना उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
4. और किसान की उर्वरक लागत को कम किया जा सकता है।
5. गन्ने की सूखी पत्तियां/अथवा पलवार बिछाने से मृदा में नमी बनी रहती है।
6. जिससे काफी हद तक जल की बचत की जा सकती है।
7. पेड़ी गन्ने का अंकुरण तेजी से होता है।
8. खरपतवारों का नियंत्रण कर खरपतवारनाशी के प्रयोग में आने वाली लागत को कम किया जा सकता है।
9. मृदा की उर्वराशक्ति को भी बढ़ाया जा सकता है।

Conclusion | सारांश –

इस ब्लॉग में, हमने गन्ने के उत्पादन के लिए अवशेषी कूड़ा-करकट प्रबंधन और गन्ने के सूखे पत्तों (sugarcane trash) का व्यवस्थापन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से विवरण किया है। गन्ने के अवशेषी से सही रूप से निपटने से किसान अच्छे उत्पादन की ओर बढ़ सकता है, और पर्यावरण को भी होने वाली हानियों से बचाया जा सकता है। इस तरह के प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करके, हम गन्ने के उत्पादन को सुस्त एवं स्वास्थ्यप्रद बना सकते हैं।

FAQ | बार – बार पूछे जाने वाले सवाल –

 

1. पशुओं के लिए गन्ने की पत्तियों का उपयोग कैसे किया जाता है?
गन्ने की पत्तियों को पशुओं के लिए बिछावन के रूप में उपयोग किया जाता है।

2. गन्ने की पत्तियों से कौन-कौन से उत्पादन किए जा सकते हैं?
गन्ने की पत्तियों से बायो-इथेनॉल जैसे जैव-ईंधन के उत्पादन किए जा सकते हैं।

3. गन्ने की पत्तियों का उपयोग करने के क्या लाभ हैं?
गन्ने की पत्तियों का उपयोग करने से मृदा की उर्वरा क्षमता संतुलित रहती है और गन्ना उत्पादन में वृद्धि होती है।

4. सुगरकेन ट्रैश का प्रबंधन क्यों महत्वपूर्ण है?।
सुगरकेन ट्रैश का प्रबंधन खेती की उपज और मृदा की संतुलितता के लिए महत्वपूर्ण है।

5. सुगरकेन ट्रैश का उपयोग क्यों किया जाता है?
सुगरकेन ट्रैश का उपयोग मिट्टी की उर्वरा क्षमता को बढ़ाने और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाता है।

 

लेखक –

सूर्यकांत कांबळे
मू. पो – इर्ले, तालुका – बार्शी, जिल्हा – सोलापूर.
राज्य – महाराष्ट्र. पिन – 413412
मो – 9168911489


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